Monday, September 24, 2018

'रूस का गूगल' कहे जाने वाले यांडेक्स के बारे में जानते हैं आप

गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है. ये बात कमोबेश सब को पता है. आख़िर हिंदुस्तान में 'गूगल बाबा' इतने मशहूर जो हैं.
बहुत से लोगों को ये भी पता है कि गूगल के अलावा कई और सर्च इंजन भी हैं, जैसे माइक्रोसॉफ़्ट का बिंग, चीन का बायडू और शुरुआती सर्च वेबसाइटों में से एक याहू.
आज की तारीख़ में गूगल केवल सर्च वेबसाइट नहीं. गूगल ने अपना दायरा बहुत बढ़ा लिया है.
मगर, क्या आप को पता है कि गूगल जैसी ही एक और विशाल आईटी कंपनी है. ये जिस देश में है, उसके बाहर बहुत कम ही लोगों को उसका नाम मालूम है.
उस देश का नाम है रूस और सर्च इंजन का नाम है यांडेक्स.
यांडेक्स को रूस का गूगल कहा जाता है. गूगल की ही तरह यांडेक्स भी सर्च इंजन चलाने के अलावा बहुत से कारोबार करती है.
यांडेक्स की शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी ( . ) के तौर पर. आज की तारीख़ में यांडेक्स रूस की विशाल आईटी कंपनी बन चुकी है.
कंपनी के संस्थापक और प्रमुख आर्केडी वोलोज़ कहते हैं, "आप हमें सिर्फ़ रूस का गूगल न समझें. आप हमें रूस की यूबर कंपनी, रूस की स्पॉटिफ़ाई और साथ ही बहुत कुछ और भी कह सकते हैं."
इमेज कॉपीरइट 
ओल्गा कहती हैं कि, "यांडेक्स एक सार्वजनिक कंपनी है. इसे अपनी क़ीमत बढ़ानी है. इसे इस बात का चुनाव करना है कि वो अपने नए उत्पाद को अपने मौजूदा बाज़ार में उतारे, या नए बाज़ारों में मज़बूत ब्रैंड वाले उत्पादों की मार्केटिंग करे. रूस के आर्थिक हालात को देखते हुए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार फिलहाल मुश्किल लग रहा है. इसीलिए यांडेक्स ने तय किया है कि वो रूस में ही अपने कारोबार का विस्तार करेगी."
लेकिन, इसके लिए कंपनी सिर्फ़ रूस के कर्मचारियों पर निर्भर नहीं रहना चाहती.
आज गूगल की भाषाओं के रिसर्चर डेविड टालबोट यांडेक्स की अनुवाद सेवा के प्रमुख हैं. टालबोट मिखाइल बिलेंको की टीम का हिस्सा हैं.
मिखाइल बिलेंको ने पहले माइक्रोसॉफ़्ट के लिए मशीन से सीखने के एक प्लेटफॉर्म को विकसित किया था. आज मिखाइल, यांडेक्स की मशीन इंटेलिजेंस यूनिट के चीफ़ हैं.
जब टालबोट ने यांडेक्स में काम करना शुरू किया था, तो काफ़ी विवाद हुआ था. क्योंकि यांडेक्स ने ऑनलाइन ट्रांसलेशन के एक ऐसे सिस्टम का इस्तेमाल करना शुरू किया था, जिसका कुछ दिन पहले ही गूगल ने इस्तेमाल शुरू किया था.
लेकिन डेविड टालबोट ने बीबीसी को बताया था कि दोनों की बनावट अलग थी. इसका ये मतलब है कि यांडेक्स का सिस्टम गूगल से बेहतर तरीक़े से अंग्रेज़ी से रूसी भाषा में अनुवाद कर सकता था.
साल 2018 में 4 जीबी मेमोरी वाली एक यूएसबी फ़्लैश ड्राइव की क़ीमत महज़ कुछ डॉलर है.
लेकिन, जब यांडेक्स ने इतनी ही मेमोरी वाले सर्वर के साथ अपनी शुरुआत की थी, तो उसके लिए कंपनी को हज़ारों डॉलर ख़र्च करने पड़े थे.
आर्केडी वोलोज़ ने इसी की मदद से साल  में यांडेक्स की शुरुआत की थी. शुरुआत में यांडेक्स, वोलोज़ की संचार कंपनी कॉम्पटेक वोलोज़ का एक प्रोजेक्ट मात्र थी.
इस संचार कंपनी की स्थापना वोलोज़ ने यांडेक्स से एक दशक पहले की थी. लेकिन, 2011 में जब कंपनी अपना आईपीओ लेकर आई, तो इसके ज़रिए उसने 1.3 अरब डॉलर का निवेश जुटाया था.
ये गूगल के आईपीओ से कुछ ही कम रक़म थी. गूगल ने अपने आईपीओ के ज़रिए 1.7 अरब डॉलर जुटाए थे.
कुछ हज़ार डॉलर ख़र्च कर के एक फ्लैश ड्राइव की मदद से शुरू हुई यांडेक्स आज इतनी बड़ी कंपनी कैसे बन गई?
आज की तारीख़ में भी यांडेक्स को रूस से बाहर बहुत कम ही लोग जानते हैं. मगर रूस में ये इतना बड़ा नाम है कि बहुत से विदेशी इस में काम करते हैं.
इनमें से कई तो गूगल और माइक्रोसॉफ़्ट में काम कर चुके हैं. यांडेक्स, गूगल को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानती है. लेकिन कंपनी की निवेशक ओल्गा मास्लिखोवा कहती हैं कि यांडेक्स ने तय किया है कि वो विश्व स्तर पर गूगल के मुक़ाबले में नहीं उतरेगी. इसके बजाय कंपनी ने अपना पूरा ज़ोर रूस के बाज़ार पर लगा रखा है.